मैं रोज़ अपनी तन्हाई से लड़ता हूं
भीड़ मैं अकेले होने से डरता हूँ
सिर झुका के निकल जाता हूं गलीयों से
जब लोगों के चेहरों पे सवालों को पढता हूँ
-Shally-
भीड़ मैं अकेले होने से डरता हूँ
सिर झुका के निकल जाता हूं गलीयों से
जब लोगों के चेहरों पे सवालों को पढता हूँ
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