पर्वत
तू अनंत काल से अडिग यहाँ खड़ा
मैं क्षण बर आके तुझे देखता हूँ
तू भूत भविष्य से परे
मैं नश्वर - जलते ही बुझने को बना हूँ
तू मेरे जीवन के बाद भी यहाँ स्थिर रहेगा
और मैं कई जन्मों कई रूपों में तेरा साक्षात्कार करके
अपने अनश्वर होने का प्रमाण दूंगा
तेरा भाग्य स्थिर होकर जीवन दर्शन करना
और मेरा घूम घूम कर
-- शैली--
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